Unfurling in the city of Jamshedpur, this is a story of a man whose feeling of guilt leads him to take notice of the issues plaguing the immediate society.
अनजाने में हो गई गोपी की हत्या के अपराध-बोध से मुक्ति की छटपटाहट सत्या को उसकी बस्ती में ले आती है, जहाँ वह उसकी पत्नी और बच्चों की परवरिश करके अपने गुनाह की सज़ा भुगतना चाहता है.
बस्ती अशिक्षा, दरिद्रता और शराब की लत में इस कदर जकड़ी हुई है कि बच्चों की ढंग से परवरिश नहीं हो सकती है.
तब सत्या यह निश्चय करता है कि वह बस्ती का माहौल बदल कर रख देगा.
लेकिन क्या ऐसा करना संभव है?
और क्या ऐसा करने से सत्या को अपने अपराध-बोध से मुक्ति मिल जाएगी?
Aparadh Bodh | Kamal Kant Lal
₹100.00
Price : Rs. 100, Pages: 172, Genre : Non-Fiction / Hindi book, Language : Hindi, Binding : Paperback, ISBN No. : 978-93-87852-48-8
Out of stock
Description
Aparadh Bodh | Kamal Kant Lal
Unfurling in the city of Jamshedpur, this is a story of a man whose feeling of guilt leads him to take notice of the issues plaguing the immediate society.
अनजाने में हो गई गोपी की हत्या के अपराध-बोध से मुक्ति की छटपटाहट सत्या को उसकी बस्ती में ले आती है, जहाँ वह उसकी पत्नी और बच्चों की परवरिश करके अपने गुनाह की सज़ा भुगतना चाहता है.
बस्ती अशिक्षा, दरिद्रता और शराब की लत में इस कदर जकड़ी हुई है कि बच्चों की ढंग से परवरिश नहीं हो सकती है.
तब सत्या यह निश्चय करता है कि वह बस्ती का माहौल बदल कर रख देगा.
लेकिन क्या ऐसा करना संभव है?
और क्या ऐसा करने से सत्या को अपने अपराध-बोध से मुक्ति मिल जाएगी?
Also Available at Amazon Kindle
Click here to buy