दर्द की भी ना जाने कितनी अलग अलग परिभाषाये है। कोई कहता है की दर्द गहरा होता है, कोई कहता है दर्द दुखदाई होता है, और कोई कहता दर्द मीठा भी होता है। मुझे दर्द की परिभाषा का तोह पता नहीं पर हाँ दर्द का सहारा लेकर प्रेम से एहसासों की जिन गलियों से दिल गुज़रा है उन रास्तों के ठिकानो ने ही इस पुस्तक का रूप ले लिए। इस में दर्द है या प्रेम है, यह हर एकके नज़रिये पर निर्भर करता है।
Do Bund Ka Sagar
₹190.00
Genre: Poetry, Pages: 111, Binding: Paperback, Language: English
Description
Vijay Jhunjhunwala
दर्द की भी ना जाने कितनी अलग अलग परिभाषाये है। कोई कहता है की दर्द गहरा होता है, कोई कहता है दर्द दुखदाई होता है, और कोई कहता दर्द मीठा भी होता है। मुझे दर्द की परिभाषा का तोह पता नहीं पर हाँ दर्द का सहारा लेकर प्रेम से एहसासों की जिन गलियों से दिल गुज़रा है उन रास्तों के ठिकानो ने ही इस पुस्तक का रूप ले लिए। इस में दर्द है या प्रेम है, यह हर एकके नज़रिये पर निर्भर करता है।